जमाने के बहुत है रंग,  
ना जाने कौन अपना है। 
सबों की हीं तरह मित्रों,  
मेरा भी एक सपना है। 
जो है बुजदिल जमाने में,  
वो बस यूँ ही तड़पते है। 
तड़पना है नहीं मुझको,  
मुझे कुछ कर गुजरना है।। 

जो हमसब साथ हो तो  
राह हर आसान हो जाए। 
गए जो टूट हम सब तो,  
हवा तूफ़ान हो जाए। 
है वो नादान जो हर वक़्त  
बस लड़ते ही रहते है। 
यूँ लड़ना है नहीं मुझको,  
मुझे कुछ कर गुजरना है। 

मोहब्बत है सुखद एहसास,  
इसको कर जतन से लो। 
वफाई चाहते हो तो,  
मोहब्बत कर वतन से लो। 
मोहब्बत वो करेंगे क्या,  
जो डरते है जमाने से। 
यूँ डरना है नहीं मुझको,  
मुझे कुछ कर गुजरना है। 

हो जिसमे देश का अभिमान,  
बस वो काम करना है।  
हो अब दुश्मन कोई भी क्यों ना,  
मुझको अब डरना है।  
जो मिट जाए वतन के नाम पर  
वो नाम बनना है।  
यूँ मरना है नहीं मुझको,  
मुझे कुछ कर गुजरना है।। 


नाम- कुमार अमन 
पता- भारत 
0 Responses

एक टिप्पणी भेजें