आप अशिक्षा के खिलाफ बोलते हैं
अहिंसा की वकालत करते हैं
सभ्य और शालीन भाषा में
सामने वाले को तोलते हैं
इतना मीठा बोलते हैं
बोलते बोलते कई बार हँसते हैं
बेवजह चमकती हैं आपकी आँखें

क्या आपको पता है भावना
इस लाग लपेट की भाषा से
बहुत बड़ी है
सभ्यता और शालीनता की बुनियाद
भाषा पर नहीं संवेदना पर खड़ी है .....



डॉ सुधा उपाध्याय बोलती चुप्पी से
0 Responses

एक टिप्पणी भेजें