गीत पाँखि पर स्वप्न बीतल
विरह बोझिल यामिनी
अश्रुमय समय सिसकल
बीतल वर्षक रागिनी !
हे व्यतीत !
अहां क मुख पाटल सं हिमकन सन कोमल
ज्योत्स्ना सन चंचल
परिमल सन ओ समय झहरल छल
आय नोर कण संग अहाँकें विदा नहि करब !
पवन-तरी सन जीवन हमर
सौरभ-नाविक बनि अहाँ
दिग दिगंत पसरि जाउ !!
काया छाया ज्योति तिमिरक
बहुरंगी नर्तन निःशेष भेल
पीडाक गायन में मुखरित
स्वप्न-कम्पित नयन निमेष भेल !
राग भरल अधरक संभ्रम सन ई नीरव कम्पन
कालक विस्मृत आंगनक
'हम'
अहाँ' मात्र पूजन साधन !
हे आगत !
ईश्वर बनि मन्त्र शक्ति स
छुबि दिय अहाँ हमर भाल
अम्लान स्वर्ण शतदल सन विहुँसय
जीवन ललाम-लाल,,,,,,,,,,

-डा० शेफालिका वर्मा, नई दिल्ली
0 Responses

एक टिप्पणी भेजें