जब कभी मैं...
जब कभी मैं खो जाऊं तो ?
मुझे ढूँढ लोगी न ?
जब कभी मैं तन्हा रहूँ..
मेरा साथ दोगी न?
जब कभी मेरे बहके कदम..
तुम थाम लोगी न ?
जब कभी मुश्किल हो सफर...
तुम संग चलोगी न ?
जब कभी दे आवाज दिल...
तुम सुन लोगी न ?
जब कभी टूटे ख्वाब तो...
तुम फिर से सजा दोगी न ?
जब कभी मुझसे हो खता...
तुम बख्स दोगी न ?
जब कभी मेरी नाम हो आँखें...
तुम प्यार दोगी न ?
जब कभी गम आये सनम..
तुम बाँट लोगी न ?
जब कभी मेरे आंसू बहे...
तुम पोंछ लोगी न ?
जब कभी उमर ढल जायेगी..
तुम यूँ ही चलोगी न ?
मेरे इन सवालों का,
कुछ तो जवाब दोगी न ?


-आदित्य प्रकाश
 सिंघेश्वर, मधेपुरा.