हँस-हँस कर रोज सपनों में आती
रुला कर मुझको न जाने कहाँ चली जाती..
जब भी आती, बातें बनाती.
न जाने वो कौन थी ?
जब भी आती, रुला कर जाती|
बड़े भावुक होकर खड़ी-खोटी सुनाती.
कोई तो समझाओ इस निर्दयी समाज को.
बेटे की हठ लगाये.
दिन-दहाड़े करते कन्या हत्या.
कोई तो बताओ, कोई तो समझाओ.
आज की कन्या नहीं किसी से पीछे.
हथियार थामे करती सरहद पर रक्षा.
पी.टी. उषा, सानिया मिर्ज़ा या हो साइना नेहवाल.
सभी ने बढ़ाया भारत का सम्मान.
प्रतिभा पाटिल ने भी थामी थी, भारत की कमान,
इसके आगे और क्या कहना ?
हर घर में पैदा होऊँगी.
कहलाऊँगी जगत जननी.
मै माँ हूँ, बेटी हूँ, बहन हूँ,
फिर भी शर्म नहीं आती, करते हो कन्या हत्या,
हँस-हँस कर रोज सपनों में आती थी,
रुला कर मुझको न जाने कहाँ चली जाती थी,
जब भी आती, रुला कर जाती|
दीपक यादव
मधेपुरा,बिहार
मो-7549494954
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