ना कोई साथ है, न किसी का अरमान है.
यूं ही चलना है, जबतक जान है,
रुक जाते, तो कोई ये न पूछता,
कि वो कहाँ है ?
और चलते रहे तो महसूस होता है ,
कि दुनियाँ में अपना कुछ नाम है.
आये तो दुनियाँ में हम अकेले थे,
ना कोई यार था, न कोई सहेली थी.
कुछ खो देने का ना कोई गम था.
बस जिंदगी एक पहेली थी.
अपने मिले तो लगा कि
रुक जाते, तो कोई ये न पूछता,
कि वो कहाँ है ?
और चलते रहे तो महसूस होता है ,
कि दुनियाँ में अपना कुछ नाम है.
माना कि जिंदगी में
मुश्किल तमाम मिलती है,
कहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलती है,
बस मुस्कुरा के देखो तो
ये भी कम लगती है.
भरी आँखों से देखो तो
ये वजह-ए-गम लगती है.
रुक जाते, तो कोई ये न पूछता,
कि वो कहाँ है ?
और चलते रहे तो महसूस होता है ,
कि दुनियाँ में अपना कुछ नाम है.
-निधि सिंह राजपूत
मधेपुरा
बहुत सुंदर ।
thanks
nice thinking diii ...and अति उत्तम
चलने का नाम जिंदगी।।
Nyc 1...
चलने का नाम जिंदगी।।
Nyc1