पहले 
पहल 
वो ज्ञान के 
द्रोणाचार्य थे
इसलिए सारे ज्ञान को 
अपने लिए रक्षित रखे 
फिर उसे 
टुकड़े-टुकड़े में 
प्रवचन के ज़रिए 
शुल्क देने में समर्थ लोगों में बांचने लगे 
और
ज्ञाता कहलाने लगे 
एक 
दिन किताबों में दीमक खाते ज्ञान का नोट्स बनाये 
और
कक्षाओं में बांचने लगे 
और
आचार्य कहलाने लगे 
किताबें 
भी उन्हीं के लोगों ने लिखी थी 
इसलिए 
उन किताबों का वारिश कहलाने लगे 
उनके 
पास दान-महादान में मिली पूँजी थी 
पूँजीपरस्त शिष्य थे
शिष्यों का कुनबा था 
धीरे-धीरे
उनके ज्ञान के रहस्य का 
ख़ुलासा होने लगा 
यहीं से शुरू हुआ 
ज्ञान से उनके आदिम आधिपत्य के ख़ात्मे का सफ़र 
फिर क्या था 
ज्ञान 
तक औरों की भी पहुँच बढ़ने लगी
तब 
उन्हें भास होने लगी, ज्ञान पर ख़तरा मँडराने लगी 
फिर 
उन्हें ज्ञान के संरक्षण की चिंता सताने लगी 
फिर 
एक नया पैंतरा चलने लगे 
ज्ञान 
अपवित्र लोगों के हाथ लग गया है,बोलने लगे 
इसके शुद्धीकरण के लिए चाल चलने लगे 
घूम-घूमकर कहने लगे 
ज्ञान 
तप,जाप 
और
बलिदान माँगता है 
यह सिर्फ़ हमीं दे सकते हैं 
और  
कोई नहीं 
तभी 
आकाशवाणी हुई 
तुम 
सब धोखेबाज़ हो,छलिया हो,पाखंडी हो,
कर्मकांडी हो,षड्यंत्रकारी हो,
ज्ञान के जनतांत्रिकरण के विरोधी हो 
ज्ञान के कारोबारी हो 
ज्ञान चिल्लाया
बोला 
तुम सदियों से हमें,अपना तोता बनाये रखे
पिंजरे में बंद कर गलाये रखे 
अब मैं
उड़ना चाहता हूँ,मुक्त होना चाहता हूँ 
तुम्हारे चंगुल से,बैठना चाहता हूँ,सबके मुँडेर पर 
अब 
मैं 
तुम्हारे पोथियों से निकलकर 
दाख़िल होना चाहता हूँ 
www.com पर 
फैलना चाहता हूँ Glocal गाँव में 
यह 
तुम्हारे तोतारटंतवाद के ख़िलाफ़ हमारा खुला विद्रोह है 
जब 
द्रोणाचार्यों को लगा कि 
ज्ञान के घोड़े का लगाम हमारे हाथों से निकलने वाला है 
ज्ञान के रहस्य से पर्दा उठने वाला है 
तब वो 
रातों-रात पैंतरा बदलने लगे 
पेनड्राइव ख़रीदने लगे 
भागते हुए ज्ञान को उसमें save करने लगे 
PPT बनाकर कक्षा में पहुँचे लगे 
Pawer Point Prasentation विधि से पढ़ाने लगे 
जैसे ही 
द्रोणाचार्य पहली स्लाइड दिखाने लगे 
ज्ञान की पोटली खोलने लगे,कुछ छात्र ठठाकर हँसने लगे 
द्रोणाचार्य घूर कर पूछने लगे 
क्यों 
'रे'
बड़बोले क्यों हँसने लगे
चतुर छात्र ppt में बंद Google बाबा का रहस्य खोले 
हार कर 
द्रोणाचार्य बोलने लगे 
जब 
ज्ञान का कारोबार हौले-हौले बढ़ने लगे 
अकेले द्रोणाचार्य ही क्यों फँसने लगे
Google 
बाबा जो रहस्य खोलने लगे...
गुस्साये
द्रोणाचार्य 
अंगूठे की जगह 
Google बाबा को ही माँगने लगे. 



डॉ रमेश यादव
सहायक प्रोफ़ेसर
इग्नू, नई दिल्ली.

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