डरी -डरी सी दहशत भरी जिन्दगी
पग -पग सी  आहट भरी जिन्दगी
मुड -मुड सी पलट  भरी जिन्दगी
सुनसान राहों पर दबोची जिन्दगी

हैवानियत से सनी जा रही  जिन्दगी
हर चौराहों पर अब चीख रही जिन्दगी
चीखों को कोन रोके हैरान है  जिन्दगी
तमाशबीन मूक बने रो रही  जिन्दगी

बलात पीड़ित की सिसक रही जिन्दगी
सुरक्षा की सबसे मदद मांग रही जिन्दगी
कलयुग भी हैरान देख ये दुःख भरी जिन्दगी
गुहार किससे करे ढूंढ़ रही आंसू भरी जिन्दगी

स्तब्ध है दुनिया देख लाचार भरी जिन्दगी
कड़ी सजा मिले ये इंतजार कर रही जिन्दगी
बेटियों की ये दशा कहा गई सुरक्षा भरी जिन्दगी
दरिंदों को जल्द चढ़ा दो सूली ये कह रही जिन्दगी. 


संजय वर्मा "दृष्टि "
125 शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र

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