नारी का लड़की होना ही,
बन जाता है कभी उसका कसूर,
और कभी तो गर्भ के अंदर,
ही कहलाती है वह नासूर,
जन्म मिला किस्मत से तो,
उस पर भी प्रतिबंध भरपूर,
गृह कार्य में व्यस्त रहो,
और कभी न जाओ घर से दूर,
हिम्मत कर के जब लड़की,
जीवन में करती है कुछ खास,
फिर भी उस से रखते है सब,
अपने मतलब की इक आस,
मिलता नहीं जीवन में समर्थन,
इसका उसको सदा ही दुःख है ,
अभी भी पुरुषों की नीयत में,
बस नारी केवल शारीरिक सुख है,
फिर कुछ ऐसी नज़रें हैं जो  
करती रहती हैं उसका उपहास,
जैसे उसका जीवन केवल,
पुरुषो के लिए दैनिक परिहास,
कभी न समझना उसको बराबर,
देना हीन भावना का आभास
सोचो गर नारी न हो तो,
फिर इस जीवन में क्या होगा पास,
लड़की जब है प्यारी कन्या,
तब उसकी पूजा करते हैं सब,
फिर क्यों उसके बालिग होने पर,
शील रूप नहीं रखतें है हम,
लड़की बेटी बहन और पत्नी रूप
में कितना सुख देती है,
फिर सृष्टि की संचालक बन,
मां का रूप भी धर लेती है,
आओ मिल कर करें प्रतिज्ञा,
नारी का सम्मान करेंगे ,
कभी न हो नारी का शोषण,
मिल कर ऐसा काम करेंगे,
नारी से ही घर की शोभा,
नारी ही है हर घर की इज्ज़त,
नारी को पूज्य नज़रों से देखो,
चमकेगी हम सबकी किस्मत 
.
                                 
 

जय प्रकाश भाटिया
लुधियाना, पंजाब

0 Responses

एक टिप्पणी भेजें