मेरे शुभ चिंतकों
मत लिखना चिट्ठी
इस पते पर
मैं घर छोड़ सकती हूँ
किसी भी समय .......
घर की देह पर छतनार पीपल का
पौधा उग आया है
दीवारें भेदकर अंदर आने लगा
फिर भी काटने को नहीं बढ़ते हाँथ
कुछ दिनों से छत नीचे आती और
ज़मीन ऊपर उठती सी लग रही है
दीवारें भी बदल रही हैं आकृति
इसीलिए कहती हूँ ,कोई सवाल नहीं पूछना
मत लिखना चिट्ठी
इस पते पर
मैं घर छोड़ सकती हूँ
किसी भी समय ......


 
डॉ सुधा उपाध्याय 'बोलती चुप्पी से '
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