“हेलो, हेलो ....हैप्पी बर्थडे टू यू यार..क्या पार्टी दे रहे हो न
? हम तुम्हारे घर पर पार्टी नहीं लेंगे...पार्टी के लिए कोई क्लब या फिर कोई ऐसी
जगह चुनना जहाँ हम पूरी मस्ती कर सके. देखो ! अच्छी क्वालिटी की ड्रिंक्स देनी होगी.
अरे कल की पार्टी याद है न जो राहुल मल्होत्रा ने अपनी बर्थडे पर दी थी, विवेक
मल्होत्रा जैसे रईस का बेटा है. खैर...मजा आ गया था. तू तो उससे भी ज्यादा रईस का
बेटा है...तेरी पार्टी तो उससे भी ज्यादा शानदार होनी चाहिए. अच्छा ये बता, तू
अपनी गर्लफ्रेंड को भी बुला रहा है न ? स्नेह अग्रवाल भी आयेगी न वो मंत्री की
बेटी....और श्रद्धा देशवाल.......?”
(फोन पर
दूसरी तरफ से भरे गले से): “नहीं कोई पार्टी नहीं होगी....”
“ तू रो क्यों रहा है यार ?...जानता हूँ तेरे बाप ने पार्टी
देने से मना किया होगा ...तेरे बाप ने मना कर दिया तो क्या हुआ...हमसब मिलकर
पार्टी देंगे..बस तू हाँ कर दे.”
(दूसरी तरफ से ): “बेटा, मैं अजय सक्सेना का पिता अभय सक्सेना बोल रहा
हूँ...और मैंने पार्टी देने के लिए मना नहीं किया है... अजय कल की पार्टी से घर
लौट रहा था, उसने बहुत पी रखी थी और खुद ही गाड़ी चला रहा था. कोहरे और नशे की वजह
से उसकी गाड़ी पेड़ से टकरा गई और वहीं उसकी मौत हो गई. आज उसका बर्थडे है
लेकिन...वो बर्थडे पार्टी दें इसके लिए अब वो इस दुनियां में नहीं रहा. काश कि
उसने मेरी बात मान ली होती तो आज...........”
“ओओह नो.........सॉरी अंकल
!!!!!!!!!!!!!!”
--श्रुति भारती (लवली आनंद)
मधुबनी, कुमारखंड
मधेपुरा.
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