बाथरूम के नल को तेज़ चलाकर ..
उस पानी के गिरते शोर में अगर
तुम अपने आंखों से गिरते
पानी की आवाज़ को
बंद करने की कोशिश कर रहे हो ...
तो हां तुमने किसी को बेइंतहां चाहा है...
घंटों चुपचाप अकेले बैठे रह जाते हो..
और ताकते हो खिड़की के बाहर की दुनिया को ..
और..पेड़, पौधे, लोग, आकाश, चांद, सितारें..
सब तुम्हें खुद के जैसी लाश लगने लगे
तो हां तुमने किसी को बेइंतहां चाहा था!
गलती से उसकी तस्वीर तुम्हें
तुम्हारे फोन के छिपे हिस्से में
दिख जाती है..
और वो लम्हा तस्वीर से निकलकर ..
तुम्हारे आंखों के सामने खुद को
दोहराने लगता है..
तुम्हें चिढ़ाने लगता है...
तो हां तुमने किसी को बेइंतहां चाहा था...
जब तुम किसी भी दिशा में देखो ..
जब सड़कों पर..
तुम्हें किसी की आंखें उसके जैसी लगे ..
कभी बाल तो कभी उसके कपड़े..
और तुम्हें आभास हो कि बस..
वही तुम्हारे सामने है...
तुम्हारी धड़कन रुक जाएं ...
और जब तुम्हें मालूम हो कि
यह तुम्हारा भ्रम है...
और उसी सड़क पर घुटनों के बल बैठ
बच्चों की तरह रोने को
मजबूर हो जाओ तुम...
तो समझ लेना ...
कि तुमने किसी को बेइंतहां चाहा है...
जब बिना किसी के बताए तुम्हें
उसके अच्छे बुरे हाल का आभास हो...
कुछ बुरा हो रहा है उसके साथ...
तुम्हें एहसास हो...
तो समझ लेना कि किसी को
बेइंतहां चाहा था तुमने ...
जब तुम त्योहारों में और बेचैन हो जाओ...
दिल करें कि सब तुम्हें अकेला छोड़ दें...
जब दीवाली के दीये तुम्हें
अंधेरा दिखाने लगे ..
होली के रंग भड़काने लगे ..
तो समझ लेना तुमने
किसी को बेइंतहां चाहा था..
जब मां के पराठे गले से ना उतरे ..
जब सारी पसंद नापसंद में बदल जाए..
जब तुम भूलने लगो कि
तुम्हारे कमरे में एक आईना है..
और गलती से कभी
देख भी लो उस आइने में..
और ख़ुद के पीछे वो भी बाहें फैलाए नजर आए ..
तो समझ लेना कि तुमने किसी को ..
चाहे दिन, महीने या साल गुज़र जाएं...
उसके नाम के ज़िक्र से आज भी
तुम्हारा दिल तुम्हारे सीने के बाहर निकलकर
तुम्हें लाश बना देता है...
हजारों की भीड़ में भी तुम्हें
तन्हा कर देता है..
खुशियों को भी अपनी याद से
मातम में बदल देता है..
तो समझ लेना..तुमने..
जब तुमसे ज्यादा तुममें
वो रहने लगे तो ..
जब तुम ये समझने में असफल हो जाओ...
तुममें वो है या उसमें तुम ..
जब तुम्हें यकीन हो जाएं...
कि वो तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता..
तो समझ लेना ...
तुमने किसी को बेइंतहां चाहा था.
अंशु प्रिया
बिहारी करेजा
(अंशु प्रिया के फेसबुक पेज बिहारी करेजा को आप इस लिंक पर जाकर लाइक कर सकते हैं.)
उस पानी के गिरते शोर में अगर
तुम अपने आंखों से गिरते
पानी की आवाज़ को
बंद करने की कोशिश कर रहे हो ...
तो हां तुमने किसी को बेइंतहां चाहा है...
घंटों चुपचाप अकेले बैठे रह जाते हो..
और ताकते हो खिड़की के बाहर की दुनिया को ..
और..पेड़, पौधे, लोग, आकाश, चांद, सितारें..
सब तुम्हें खुद के जैसी लाश लगने लगे
तो हां तुमने किसी को बेइंतहां चाहा था!
गलती से उसकी तस्वीर तुम्हें
तुम्हारे फोन के छिपे हिस्से में
दिख जाती है..
और वो लम्हा तस्वीर से निकलकर ..
तुम्हारे आंखों के सामने खुद को
दोहराने लगता है..
तुम्हें चिढ़ाने लगता है...
तो हां तुमने किसी को बेइंतहां चाहा था...
जब तुम किसी भी दिशा में देखो ..
जब सड़कों पर..
तुम्हें किसी की आंखें उसके जैसी लगे ..
कभी बाल तो कभी उसके कपड़े..
और तुम्हें आभास हो कि बस..
वही तुम्हारे सामने है...
तुम्हारी धड़कन रुक जाएं ...
और जब तुम्हें मालूम हो कि
यह तुम्हारा भ्रम है...
और उसी सड़क पर घुटनों के बल बैठ
बच्चों की तरह रोने को
मजबूर हो जाओ तुम...
तो समझ लेना ...
कि तुमने किसी को बेइंतहां चाहा है...
जब बिना किसी के बताए तुम्हें
उसके अच्छे बुरे हाल का आभास हो...
कुछ बुरा हो रहा है उसके साथ...
तुम्हें एहसास हो...
तो समझ लेना कि किसी को
बेइंतहां चाहा था तुमने ...
जब तुम त्योहारों में और बेचैन हो जाओ...
दिल करें कि सब तुम्हें अकेला छोड़ दें...
जब दीवाली के दीये तुम्हें
अंधेरा दिखाने लगे ..
होली के रंग भड़काने लगे ..
तो समझ लेना तुमने
किसी को बेइंतहां चाहा था..
जब मां के पराठे गले से ना उतरे ..
जब सारी पसंद नापसंद में बदल जाए..
जब तुम भूलने लगो कि
तुम्हारे कमरे में एक आईना है..
और गलती से कभी
देख भी लो उस आइने में..
और ख़ुद के पीछे वो भी बाहें फैलाए नजर आए ..
तो समझ लेना कि तुमने किसी को ..
चाहे दिन, महीने या साल गुज़र जाएं...
उसके नाम के ज़िक्र से आज भी
तुम्हारा दिल तुम्हारे सीने के बाहर निकलकर
तुम्हें लाश बना देता है...
हजारों की भीड़ में भी तुम्हें
तन्हा कर देता है..
खुशियों को भी अपनी याद से
मातम में बदल देता है..
तो समझ लेना..तुमने..
जब तुमसे ज्यादा तुममें
वो रहने लगे तो ..
जब तुम ये समझने में असफल हो जाओ...
तुममें वो है या उसमें तुम ..
जब तुम्हें यकीन हो जाएं...
कि वो तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता..
तो समझ लेना ...
तुमने किसी को बेइंतहां चाहा था.
अंशु प्रिया
बिहारी करेजा
(अंशु प्रिया के फेसबुक पेज बिहारी करेजा को आप इस लिंक पर जाकर लाइक कर सकते हैं.)
एक टिप्पणी भेजें