क्यों आज भी बेटे और
बेटियों में फर्क  होता  है ?

क्यों  आज  भी.... 
बेटे के जन्म से खुशी और 
बेटी के जन्म पर मातम होता है। 
     
क्यों आज भी....       
बेटे को महंगी कमीज और 
बेटी के हिस्से में 
सस्ता फ्रॉक होता है।   
                   
क्यों आज भी....  
बेटे को पब्लिक स्कूल और 
बेटी को सरकारी स्कूल मिलता  है।           

क्यों आज भी....  
बेटे के हिस्से में मक्खन और 
बेटी को सिर्फ दूध मिलता  है।          

क्यों आज  भी....  
बेटों को सोफे का आराम और
बेटियों को घर का काम मिलता है।       

क्यों आज भी....    
बेटों को डाक्टर की पढ़ाई और
बेटियों को बस आदर्शों का 
ताज  मिलता है।                                           

सवाल है मेरा सबसे बस ये..                                   
क्यों आज भी....                                                  
बेटों को पहचान और
बेटियों को पराया नाम मिलता है।

 

*पुनीता सिंह
  नई दिल्ली
2 Responses
  1. nafees chand Says:

    बहुत खूब पुनिता जी


  2. शुभकामना अगली कड़ी के लिये


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