विज्ञान ने बड़ी उन्नति कर ली,
आज हम सुधरते जा रहे हैं.
मगर, सुधरने से कहीं अधिक
हम आज उघरते जा रहे हैं. 
      पूर्वज कभी हमारे जंगल में भटकते थे,
      आज हम चाँद पर बसने जा रहे हैं.
      वे कीड़े-मकोड़े खाते थे कभी,
      आज हम पिज्जा और बर्गर खा रहे हैं.
तानसेन और बैजू बावरा आज,
नहीं जन्म लेते इस ज़माने में,
शक्ल बिगाड़कर मस्त हैं सब,
माइकल जैक्सन कहलाने में.
      विदेशी वस्तु पहली पसंद है,
      स्वदेशी गई अब भाड़ में,
      बिकनी, चोली, चड्ढी छाई
      आज नए फैशन की आड़ में.

*पी० बिहारी बेधड़क
 कटाक्ष कुटीर, महाराजगंज
 मधेपुरा. (मो०: 9006772952)
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