न हमारा है, न तुम्हारा है.
जीवन-धारा के आगे
सब बेचारा है, बंजारा है.
जो मस्तक को भी
है प्यारा
और जो मन को भी प्यारा है.
ओर नहीं है,
छोर नहीं है,
कैसी जीवन-धारा है.
रुकने का अधिकार
नहीं है,
थकना नहीं गवाँरा
है.
चलते जाओ,
चलते जाओ,
सबने यही पुकारा है.
जाने कब तक चलना
है,
जाने कहाँ किनारा है.
ओर नहीं है,
छोर नहीं है,
कैसी जीवन-धारा है.
हार यहाँ मंजूर
नहीं है,
"जीत हीं
जीत" का नारा है.
आँख मूँद के दौर
रहे हैं,
केवल यही नजारा है.
जिससे जग भी हारा है.
ओर नहीं है,
छोर नहीं है,
कैसी जीवन-धारा है.
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