इस भींगे से मौसम में,
कोई दहकी बात लिखूँ.
कुछ तो हो दुनिया की बातें,
कुछ अपने जज्बात लिखूँ .
नीले अम्बर, चाँद-सितारे
हंसकर के ये कहते हैं,
मेरा दिल भी मचल रहा
मैं ये चाँदनी रात लिखूँ .
हरी चूड़ियों, बाग के झूलों की ये गुजारिश है हमसे,
बादल ने भी यही कहा है, सावन की बरसात लिखूँ.
बादल ने भी यही कहा है, सावन की बरसात लिखूँ.
साथ नही अपनों का हो तो, दिल बेबस हो उठता है,
आँखों के आँसू कहते हैं यादों की बारात लिखूँ.
आँखों के आँसू कहते हैं यादों की बारात लिखूँ.
छोटे से इस जीवन में, इतनी सी ही ख्वाहिश है.....
जख्म नही दूँ किसी को मैं, बस खुशियों की सौगात लिखूँ .
जख्म नही दूँ किसी को मैं, बस खुशियों की सौगात लिखूँ .
रचना भारतीय (मधेपुरा)
ग्रामीण विकास पदाधिकारी
बहुत सुंदर गज़ल
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति।
नई रचना : सूनी वादियाँ