आप जानते हैं इसे
ये मनीषा है....
हर कक्षा में जि‍से
प्रथम आने पर मि‍लता था पुरस्‍कार

'जो हवा हूं हवा मैं, बसंती हवा हूं'
के साथ-साथ
उतने ही लय में
झूम-झूम कर गाती थी
'हू हेज सीन द विंड'
और सबकी प्रशंसा पाती थी

कहते थे सभी गांव वाले
देखना...कि‍सी उंचे पद पर जाएगी
पैसे के संग
खूब नाम कमाएगी

हां...खूब नाम कमाया उसने
अब मनीषा नहीं,
'मुनि‍या' कहलाती है
और पूरे इलाके में जानी जाती है

लोग कहते हैं
बड़ी ही फुर्तीली है
दो मर्दों के करने लायक काम
अकेले ही करती है

बस एक ही कमी है
न हंसती है न बोलती है
लोगों के सपनों का घर बनाने के लि‍ए
अब वो र्इंट, गारा, सीमेंट ढोती है

बचपन के देखे अपने सपने को
'टि‍फि‍न बेला' में
रोटी संग आसुंओं में लपेट
रोज नि‍गलती है

उसने बेटी होने का फर्ज नि‍भाया है
दारू पी के पि‍ता के गुजरने के बाद
हाड़ तोड़ मेहनत कर
आठ जनों का कुनबा चलाया है

बाप की चि‍ता संग
अरमानों की चि‍ता भी जला आई है
आज मनीषा नहीं, मुनि‍या है, और
चूल्‍हा जलाने को उसकी गाढ़ी कमाई है.....

तस्‍वीर....मुनि‍या की, जो मेरे कहने पर खि‍लखि‍ला रही है

रश्मि शर्मा 
2 Responses
  1. uff... majdoor mahila varg ... ke liye samarpit ... bahut sateek !!


  2. धन्‍यवाद आपका....


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