सुनो
कहाँ हो ............?
मेरी सोच के जंगलों में
देखो तो सही
कितने खरपतवार उग आये हैं
कभी तुमने ही तो
इश्क के घंटे बजाये थे
पहाड़ों के दालानों में
सुनो ज़रा
गूंजती है आज भी टंकार
प्रतिध्वनित होकर
श्वांस की साँय -साँय करती ध्वनि
सौ मील प्रतिघंटा की रफ़्तार से
चलने वाली वेगवती हवाओं को भी
प्रतिस्पर्धा दे रही है ..........
दिशाओं ने भी छोड़ दिया है
चतुष्कोण या अष्ट कोण बनाना
मन की दसों दिशाओं से उठती
हुआं - हुआं की आवाजें
सियारों की चीखों को भी
शर्मसार कर रही हैं ........
क्या अब तक नहीं पहुंची
मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
उफ़ ............सिर्फ एक बार आवाज़ दो
सांस थमने से पहले
जान निकलने से पहले
कहाँ हो ............?
मेरी सोच के जंगलों में
देखो तो सही
कितने खरपतवार उग आये हैं
कभी तुमने ही तो
इश्क के घंटे बजाये थे
पहाड़ों के दालानों में
सुनो ज़रा
गूंजती है आज भी टंकार
प्रतिध्वनित होकर
श्वांस की साँय -साँय करती ध्वनि
सौ मील प्रतिघंटा की रफ़्तार से
चलने वाली वेगवती हवाओं को भी
प्रतिस्पर्धा दे रही है ..........
दिशाओं ने भी छोड़ दिया है
चतुष्कोण या अष्ट कोण बनाना
मन की दसों दिशाओं से उठती
हुआं - हुआं की आवाजें
सियारों की चीखों को भी
शर्मसार कर रही हैं ........
क्या अब तक नहीं पहुंची
मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
उफ़ ............सिर्फ एक बार आवाज़ दो
सांस थमने से पहले
जान निकलने से पहले
धडकनों के रुकने से पहले
(पपडाए अधरों की बोझिल प्यास फ़ना होने से पहले )
ये इश्क के चबूतरों पर बाजरे के दाने
(पपडाए अधरों की बोझिल प्यास फ़ना होने से पहले )
ये इश्क के चबूतरों पर बाजरे के दाने
हमेशा बिखरते क्यों हैं ............
प्रेमियों के चुगने से पहले .........जानां
!!
वंदना गुप्ता, नई दिल्ली
क्या अब तक नहीं पहुंची
मेरी रूह के टूटते तारे की आवाज़ .........तुम तक ?
बहुत खूब...