ओह ! मेरे निष्ठुर प्रेमी,
क्यों तुमने
जाते वक्त
ये न कहा,
“मैं लौट आऊंगा,
तुम मेरा इंतजार करना”
क्यों नहीं सोचा,
तुमने,
जाने के बाद
तुम्हारे,
क्या होगा
मेरा भविष्य ?
तुम तो, बस
उन्मुक्त फागुन की तरह
मेरे जीवन में
एक रंग भर कर,
सब रंग समेट
उड़ जाना चाहते हो ,
तुमने सोचा होगा
छुड़ा लोगे
मुझसे अपना “बंधन”
हा बंधन ही कहूँगा, अब तो,
क्यों तुमने
जाते वक्त
ये न कहा,
“मैं लौट आऊंगा,
तुम मेरा इंतजार करना”
क्यों नहीं सोचा,
तुमने,
जाने के बाद
तुम्हारे,
क्या होगा
मेरा भविष्य ?
तुम तो, बस
उन्मुक्त फागुन की तरह
मेरे जीवन में
एक रंग भर कर,
सब रंग समेट
उड़ जाना चाहते हो ,
तुमने सोचा होगा
छुड़ा लोगे
मुझसे अपना “बंधन”
हा बंधन ही कहूँगा, अब तो,
क्यूंकि तुम
तो अपने असमान में
स्वछंद उड़ना चाहते हो,
पर सच कहूँ,
तो जिसे तुम बंधन समझते हो
वो बंधन नहीं
हमारे रिश्ते की एक नाजुक सी,
प्यारी सी, सुलझी सी, सशक्त्त डोर है!!
स्वछंद उड़ना चाहते हो,
पर सच कहूँ,
तो जिसे तुम बंधन समझते हो
वो बंधन नहीं
हमारे रिश्ते की एक नाजुक सी,
प्यारी सी, सुलझी सी, सशक्त्त डोर है!!
अमर
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