![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1HqV_lNCucCq04miJSmEzFhBJ8EpL1YlfQ5U5kh389W4DTVrbCL6cbIrTTtln_vw3_n1muTH9im-vAa6moRwy6KYZniyMMloc3pGJCQLm0aXI-dy2d5lWJ_LmWcHkVx7JC4QLIYCmuEJD/s320/woman_sad.jpg)
जे एकटा मंदिर छल
सरस्वतीक वास सन
लक्ष्मी क हास सन
मंगलमय वरदान सन ..............
दिसा दिसा सँ मधुर रागिनी अवैत छल
सरगम क ध्वनि गवैत छल
प्रेम प्रीति स भरल
जीवन क गीत स साजल
ओ हमर घर छल.
पावैन तिहार क रंग स
जितिया पावैन बड भारी--उगाह चान कि
लपकों पुआ क नाद स ;अपन आनक
उलहन-उल्लास स
भंगक तरंग सन छल ओ जीवन .....
आय विस्थापित जकां एहि महानगर में
भटकि रहल छी....
अपन आन लेल तरसि रहल छी ...
सौनसे शहर देवार स पाटल ऐछ
रहवाला क्यों नही
उजहिया जकां लोग भागि रहल ऐछ
लालसा लिप्साक व्यामोह में
नहि जानि कथीक छोह में
घर मात्र शरण लेवाक स्थान भ गेल
एकटा अल्प विराम बनि गेल..नहि हास नै
विलास एते , नै उन्मुक्त जीवनक आस एते
घरबनैत अछ प्यार स दुलारस
हंसी स मजाक स , मुदा,
ईंट, पाथर, सीमेंट घरे नै मानवक ह्रदय पर
प्लास्टर चढ़ा गेल
प्यार ,ममता, आदर सब भाव प्लास्टर क
नीचा दबा गेल
हमर घर कते हेरा गेल.........................
-डॉ० शेफालिका वर्मा
एक टिप्पणी भेजें