वतन मेरे, हमें तुमसे बेइंतहा प्यार है 
देख कर हालत तेरी...ये दिल  मेरा बेजार  है ।।

किस-किस से तुमको बचायें, है ये परेशानी बड़ी
नेता हैं, अफ़सर हैं, अपराध है, भ्रष्टाचार है ।।

एक तरफ चिथरों में जीवन, 
बेकारी, बदहाली है,
एक तरफ ऐय्यासी है,  
अरबपतियों की क़तार है।।

व्यर्थ हो गयी हैं शायद वीरों की कुर्बानियां,
गुलाम है जनता बेचारी, आज़ाद बस सरकार है।।

जश्न-ए -आज़ादी मनाने का अब वक़्त नही है साथियों,
देश को फिर भगत सिंह, आज़ाद, गाँधी की दरकार है।।



-रचना भारतीय, मधेपुरा.
1 Response
  1. आदरणीय. आपको बहुत बहुत बढ़ाई आपने लेख पूर्व में प्रकाशित किये अब बंद हो गये .कृपा मेरे लेखो पर भी ध्यान देना संतोष गंगेले 09893196874


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